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Laakho Adao Ki Ab Jarurat Hi Kya Hai Jab Wo Fida Hi Hamari Sadagi Par Hai.
लाखो अदाओ की अब जरुरत ही क्या है जब वो फिदा ही हमारी सादगी पर है।
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आप खुद नहीं जानती आप कितनी प्यारी हो, जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो, दूरियों के होने से कोई फर्क नही पड़ता, आप कल भी हमारी थी और आज भी हमारी हो।
Aap Khud Nahi Jante Aap Kitni Pyari Ho Jaan Ho Hamaaree Par Jaan Se Pyari Ho Dooriyo Ke Hone Se Koi Phark Nahi Padata Aap Kal Bhi Hamaaree Thi or Aaj Bhi Hamaaree Ho.
Najar Mein Aapki Nazare Rahenge Hamesha…!! Palkon Par Chand Sitare Rahenge…!! Badal Jaye To Badle Ye Zamana Sara…!! Ham To Hamesha Aapke Deewane Rahenge…!!!
नजर में आपकी नज़ारे रहेंगे हमेशा, पलकों पर चाँद सितारे रहेंगे, बदल जाये तो बदले ये ज़माना सारा, हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे।
सकून मिलता है जब उनसे बात होती है , हज़ार रातों में वो एक रात होती है, निगाह उठाकर जब देखते हैं वो मेरी तरफ , मेरे लिए वो ही पल पूरी कायनात होती है।
Sukoon Milt He Jab Unsai Baat Hoti He, Hazar Raato Me Vo Aik Raat Hoti He, Nigaah Uthaakar Jab Daikhatai He Vo Meri Taraph, Meri Liye Vo Hi Pal Poori Kaayanaat Hoti He.
दिल का हाल बताना नहीं आता, किसी को ऐसे तड़पाना नहीं आता, सुनना चाहते हैं आपकी आवाज़, मगर बात करने का बहाना नहीं आता।
Dil Ka Haal Batana Nahin Aata Kisi Ko Aise Tadpana Nahin Aata Sunana Chahte Hain Aapakee Aawaj Magar Baat Karne Ka Bahaana Nahin Aata
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1* अपनी खुशियों को भाईयों पर वार देती है बहने तो ताउम्र बस स्नेह और प्यार देती है! लड़ता है भाई बेशक़ वजह बेवजह बहन से पर बहन से नोक-झोंक ही उसे करार देती है!!
2* राखी का त्योहार था राखी बंधवाने को भाई भी तैयार था! भाई बोला बहना मेरी अब तो राखी बांध दो बहना बोली ‘कलाई पीछे करो, पहले रूपये हजार दो!!
Happy Raksha Bandhan Wishes
3* राखी की कीमत तुम क्या जानो, जिनकी बहने नही होती उनसे पुछो यारो।
4* आया राखी का त्योहार, छाई खुशियों की बहार रेशम की डोरी से बांधा एक बहन ने अपनी भाई की कलाई पर प्यार!! Happy Raksha Bandhan Wishes
5* दूर होके भी पास होने का ये अनूठा अहसास है हाँ, ये मेरे भाई के स्नेह और शुभकामनाओं का ही प्रकाश है!!
6* रक्षाबंधन का त्योहार है हर तरफ खुशियों की बौछार है! और बंधा एक रेशम की डोरी में भाई-बहन का प्यार है!!
7* साथ पले और साथ बढ़े हैं हम, खूब मिला बचपन में प्यार इसी प्यार को याद दिलाने! आया ये राखी का त्यौहार **रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं**!!
8* तुम से प्यारी और न्यारी कोई नहीं लड़ती हो, झगड़ती हो, डाँटती हो! हक़ जमाती हो पर ख्याल भी रखती हो तुम मेरा बहना!!
9* साथ पले और साथ बढ़े हैं हम खूब मिला बचपन में प्यार! इसी प्यार को याद दिलाने आया ये राखी का त्यौहार!!
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें
10* याद है हमारा वो बचपन, वो लड़ना – झगड़ना और वो मना लेना यही होता है भाई – बहन का प्यार! और इसी प्यार को बढ़ाने के लिए आ रहा है रक्षा बंधन का त्योहार!!
11* बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता वो चाहे दूर भी हो तो गम नहीं होता! अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते है पर बहन भाई का प्यार कभी कम नहीं होता!!
13* चावल की खुशबू और केसर का श्रृंगार, राखी, तिलक, मिठाई और खुशियों की बौछार! बहनों का साथ और बेशुमार प्यार मुबारक हो आपको अनोखा राखी का त्योहार!!
Happy Raksha Bandhan Wishes
14* मन को छु जाती है तेरी हर बात आँखों से पढ़ लेती हो दिल के जज्बात! बाँध कलाई पर राखी हर लेती हो हर दुःख रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई!!
15* कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी! भाई की लंबी उम्र की दुआ है राखी बहन के प्यार का पवित्र धुआं है राखी!!
16* ये लम्हा कुछ ख़ास हैं बहन के हाथों में भाई का हाथ हैं! ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ ख़ास हैं तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना तेरा भाई हमेशा तेरे साथ हैं!!
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Jakhm de kar na poochh karo , dard kee shist Dard to dard hota hain , thoda kya , jyaada kya !
डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय और जयंती | Dr Bhimrao Ambedkar History and 2023 Ambedkar Jayanti In Hindi
Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi– भारत की मातृभूमि पर जब- जब अधर्म ने अपनी जगह बनाई तब-तब उस अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म को कायम रखने के लिए ईश्वर के अवतार में मनुष्य जन्म लेते हैं। जब अंग्रेजों के शासनकाल था, तब उस समय भी गलत विचारधारा के लोग इस मातृभूमि को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करने के बजाय मानव-मानव में जाति के आधार पर भेदभाव करने से नहीं चूकते थे।
ऐसी गलत विचारधारा के लोगो का विरोध कर दलितों को सम्मान दिलाने और उनके अधिकार के लिए और भारत की आजादी को सही दिशा-निर्देश देने के लिए ईश्वर रूपी महामानव डॉ .भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ जिन्हे आज ये दुनिया बाबा साहेब के नाम से भी जानती है । उन्होंने भारत की दिशा ही बदल दी और आज भी दलित लोग इन्हे भगवान की तरह पूजते है।
डॉ भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, न्यायविधिक और एक महान समाज सुधारक थे जो एक प्रसिद्ध राजनेता के रूप में उभर के आये। उन्होंने कई सामाजिक बुराइयों को खत्म करने और दलित व पिछड़ी जाति के लोगो के अधिकारों की रक्षा करने के प्रयास किये उन्होंने छुआछूत जैसी कुरीतियों को और अशिक्षा और गरीबी को और कई सामाजिक समस्याओं को खत्म करने के लिए संघर्ष किये।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को नियुक्त किया गया था। उनकी उपलब्धियों एवं मानवता के लिए उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरान्त देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित किया किया गया था।
डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय (Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi)
क्रमांक
जीवन परिचय बिंदु
डॉ भीमराव अम्बेडकरका जीवन परिचय
1.
पूरा नाम-
डॉ भीम राव अम्बेडकर
2.
वास्तविक नाम –
अम्बावाडेकर
3.
प्रसिद्ध नाम –
बाबा साहेब
4.
जन्म –
14 अप्रैल 1891
5.
जन्म स्थान –
महू, इंदौर, मध्यप्रदेश
6.
पिता का नाम –
रामजी मालोजी सकपाल
7.
माता का नाम –
भीमाबाई मुरबादकर
8.
भाई का नाम –
बलराम, आनंदराव
9.
बहिन का नाम –
मंजुला और तुलसा
10.
पत्नी का नाम –
रमाबाई (1906) और डॉ. शारदा कबीर
11.
पुत्र का नाम –
यशवंत
12.
राष्ट्रीयत –
भारतीय
डॉ बी आर अंबेडकर का बचपन और प्रारंभिक जीवन (Earlier Life of Dr. B R Ambedkar)-
डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को राज्य मध्य प्रदेश गाँव महू में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में सूबेदार मेजर थे तथा उस समय म्हो छावनी में तैनात थे।
उनकी माता- भीमाबाई मुरबादकर और पिता- रामजी मालोजी सकपाल की 14 संतान थी, जिनमे बाबा साहेब 14 भाई बहनो में सबसे छोटे बेटे थे। पिता के रिटायरमेन्ट के बाद 1894 में उनका परिवार महाराष्ट्र के सतारा में चला गया।
भीमराव की माता की मृत्यु के बाद परवरिश किसने संभाली?
1896 में जब भीमराव की माता की मृत्यु हो गई तो उनकी परवरिश उनकी चाची ने संभाल ली परन्तु उन्हें कई आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ा, कुछ समय बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका पूरा परिवार मुंबई रहने चला गया। वही अम्बेडकर जी की पढाई भी हुई और फिर जब वर्ष 1905 में वो 15 वर्ष के हुए तब उनका विवाह 9 वर्ष की रमाबाई से हो गया। 1912 में उनके पिता रामजी सकपाल जी भी गुजर गए।
उनका का परिवार हिन्दू धर्म की महार जाति से सम्बन्धित था, उस समय के कुछ लोग उन्हें अस्पृश्य समझकर उनके साथ भेदभाव एवं बुरा व्यवहार करते थे। यही कारण है कि भीमराव को भी बचपन में भेदभाव का शिकार होना पड़ा, वर्ष 1907 में जब उन्होंने अच्छे अंको के साथ मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली , तो बड़ौदा के महाराजा सयाजी राव गायकवाड़ ने प्रसन्न होकर उन्हें 25 रुपये मासिक छात्रवृत्ति देना प्रारम्भ किया।
डॉ बी आर अंबेडकर की शिक्षा (Education of Dr. B R Ambedkar)-
वर्ष 1908 में उन्होंने 12 वी की परीक्षा पास की। भीमराव एक हिन्दू मेहर जाति के थे और उन्हें छुआछूत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था ऊँची जाति के लोग उन्हें छूना भी पाप समझते थे। अम्बेडकर जी जब आर्मी स्कूल में पढ़ते थे तब वहां भी उन्हें इस भेदभाव का शिकार होना पड़ा उनके दलित वर्ग के दोस्तों को कक्षा में आने की अनुमति नहीं थी और उन्हें और उनके दोस्तों को पानी को छूने भी नहीं दिया जाता था।
डॉ भीमराव अम्बेडकर ने बी ऐ किस विषय में की थी?
स्कूल का चपरासी उन्हें दूर से पानी डालकर देता था और जिस दिन कभी चपरासी नहीं आता था उस दिन उनको पानी तक नहीं मिलता था। भेदभाव का ऐसा व्यव्हार देखकर अम्बेडकर जी ने निर्णय लिया की वे दलित लोगो के अधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष करेंगे। उसके बाद वर्ष 1912 में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में बी ए करने के बाद बड़ौदा महाराज ने उन्हें अपनी फौज में उच्च पद पर नियुक्त कर दिया।
डॉ भीमराव अम्बेडकर ने नौकरी से त्यागपत्र कब दिया?
अपने पिता की मृत्यु के बाद वर्ष 1913 में उन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और उच्च शिक्षा हेतु बाहर विदेश पढ़ने के लिए चले गए। बड़ौदा के महाराज सयाजी राव गायकवाड़ ने उनके इस फैसले से प्रसन्न हुए और उनके त्यागपत्र को स्वीकार कर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए उन्हें 25 रुपये मासिक छात्रवृत्ति भी देना प्रारम्भ किया। इसके बाद वर्ष 1915 में भीमराव अमेरिका चले गए, जहाँ न्यूयॉर्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय से उन्होंने एम ए तथा वर्ष 1916 में उन्होंने पी एच डी की उपाधि प्राप्त की।
अम्बेडकर का दलितो को उनका अधिकार दिलाना-
वर्ष 1917 में वे कोल्हापुर के शासक शाहजी महाराज से मिले और उनकी आर्थिक सहायता से मूक नायक नामक पाक्षिक पत्र निकालना शुरू किया, जिसका उद्देश्य था दलितो को उनका अधिकार दिलाना।
पी एच डी की डिग्री प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वर्ष 1923 में वे इंग्लैण्ड चले गए और वहाँ लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में उन्होंने डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। क़ानूनी व्यवसाय में उन्होंने बार एट लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1923 में अम्बेडकर अपने देश लोट गए और मुंबई उच्च न्यायालय में वकालत करना शुरू किया।
वकालत करते समय भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके साथ भेदभाव किया जाता था। कोई वकील उन्हें छूना तो दूर उनके पास भी नहीं जाता था उन्हें कोर्ट में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं देते थे। जब उन्हें एक हत्या का मुकदमा मिला ,तो सभी बैरिस्टर ने उस केस को करने से मना कर दिया परन्तु अम्बेडकर ने इस केस की अच्छे से पैरवी की और जज ने उनके पक्ष में निर्णय दिया। इस मामले के बाद सभी लोग अम्बेडकर जी का सम्मान करने लगे।
डॉ भीमराव अम्बेडकर राजनैतिक सफ़र (Dr. B R Ambedkar Political Life)-
बचपन से ही अम्बेडकर जी के साथ अपनी जाति के प्रति भेदभाव हो रहा था इससे उनको बहुत अपमान सहना पड़ता था इसी कारण उन्होंने इसका विरोध करने का निर्णय लिया और संघर्ष करने के लिए वर्ष 1927 में उन्होंने ‘बहिष्कृत भारत’ नामक एक मराठी पाक्षिक समाचार – पत्र निकालना शुरू किया, जिसका उद्देश्य दलित लोगो के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सम्मान दिलाना और शोषण से बचाना था।
कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपनी ओर आकर्षित करना-
इस पत्र के निकलने के बाद बम्बई के गवर्नर अम्बेडकर जी के विचारो से प्रभावित हुए और उन्हें विधानपरिषद् के लिए चुना गया और वर्ष 1937 तक वे बम्बई विधानसभा के सदस्य बने रहे थे ।
भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के साथ हो रहे शोषण का कठिन संघर्ष किया। उस समय उच्च वर्ग के लोग दलितों को अछूत मानकर मन्दिरों में प्रवेश नहीं करने देते थे। इसीलिए अम्बेडकर जी ने दलितों को भी मन्दिरों में प्रवेश दिलाने के लिए सत्याग्रह किया। वर्ष 1980 में उन्होंने नासिक के कालाराम मन्दिर में प्रवेश दिलाने के लिए 30 हजार दलितों के साथ सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में उच्च वर्ग के लोगो ने लाठिया चला दी जिससे कई लोग घायल हो गए परन्तु फिर भी किसी ने हार नहीं मानी और आखरी दम तक अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और अंत में अम्बेडकर जी ने सभी को मंदिर में जाने की अनुमति दिला दी और इस घटना के बाद सभी लोग ‘ उन्हें बाबा साहब ‘ कहने लगे।
इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी की स्थापना कब की गयी?
अम्बेडकर जी ने कट्टरपन्थियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए दलित एवं अछूत समझे जाने वाले लोगों की भलाई के लिए वर्ष 1935 में ‘इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी’ की स्थापना की। जिससे उन्हें गवर्नमेण्ट लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य का पद हासिल हुआ। जब वर्ष 1937 में बम्बई में चुनाव की प्रक्रिया हुई तो अम्बेडकर जी की पार्टी को पन्द्रह में से तेरह स्थानों पर सफलता मिली और कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू एवं सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे बड़े नेता भी अम्बेडकर की विचारधारा से प्रभावित हुए।
वायसराय की रक्षा परामर्श समिति की सदस्यता के लिए वर्ष 1941 में अम्बेडकर को इस समिति का सदस्य बनाया गया। कुछ समय बाद वर्ष 1944 में वापस वायसराय ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल बनाई और श्रम सदस्य के रूप में डॉ. अम्बेडकर नाम चुनकर उन्हें सम्मानित किया गया।
15 अगस्त, 1947 को जब भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई हुआ, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार बनी और उसमे स्वतन्त्र भारत का पहला कानून मन्त्री डॉ भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया। फिर उन्हें भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कब घोसित गया ?
भारत के संविधान को बनाने में अम्बेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है इसी कारण उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता भी कहा जाता है । उनकी मृत्यु के बाद वर्ष 1990 में डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
डॉ भीमराव अंबेडकर का बौद्ध धर्म स्वीकार करना (Dr. B R Ambedkar & Buddhism)-
डॉ भीमराव अम्बेडकर सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। वे हिन्दू धर्म के विरुद्ध नहीं थे बल्कि वे सभी लोगो को समान अधिकार दिलाना चाहते थे और भेदभाव जैसी बुराइयों को दूर करना चाहते थे जब उन्हें ये समझ आ गया की उच्च वर्ग के लोगो के रहते हुए पिछड़े एवं दलितों को उनका अधिकार नहीं मिल सकता है तो उन्होंने धर्मपरिवर्तन करने का निर्णय ले लिया और उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को दशहरे के दिन करीब दो लाख लोगों के साथ नागपुर में एक विशाल समारोह में बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।
डॉ भीमराव अम्बेडकर की म्रत्यु कब हुई? (Dr. B R Ambedkar Death)-
बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध डॉ. भीमराव आम्बेडकर एक महान्, समाज सुधारक, शिक्षाविद् क्रांतिकारी, योद्धा एवं दलित राजनेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के साथहो रहे अन्याय,छुआछूत, शोषण,ऊँच-नीच तथा असमानता का विरोध करने में लगा दिया।
6 दिसम्बर 1956 को भारत के इस महान् सपूत एवं दलितों के मसीहा का निधन हो गया। अम्बेडकर ने बहुत हद तक दलितोको उनका अधिकार दिलाकर उन्हें सम्मान से जीवन जीना सिखाया। आज समाज में जो छुआछूत की बुराई कम हुई है तो इसका सबसे ज्यादा योगदान अम्बेडकर को ही जाता है। अम्बेडकर के इस योगदान का पूरी मानव जाती सम्मान करती है।अम्बेडकर जी आज दुनियाभर के लिए दलितों के मसीहा और समाज के महामानव है।
डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा लिखी गयी कुछ किताबे (Dr Bhimrao Ambedkar Some Books)
अपने जीवनकाल में अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उन्होंने कई पुस्तके लिखी है, जिनमें से कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं –
अम्बेडकर जयंती 2021, 2022, 2023, 2024 व 2025 में कब है? (Dr. B R Ambedkar jayanti 2023 date)-
वर्ष
दिनांक
वार
जयंती का नाम
2021
14 अप्रैल
बुधवार
डॉ अम्बेडकर जयंती
2022
14 अप्रैल
गुरुवार
डॉ अम्बेडकर जयंती
2023
14 अप्रैल
शुक्रवार
डॉ अम्बेडकर जयंती
2024
14 अप्रैल
रविवार
डॉ अम्बेडकर जयंती
2025
14 अप्रैल
सोमवार
डॉ अम्बेडकर जयंती
आखरी शब्द-
डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय हिंदी में (Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi) पढ़ कर केसा लगा हमें आशा हे की आप को इस से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा अगर आप का कोई सुझाव है तो हमें नीचे कमेंट में अपना सुझाव जरूर बताये और “Bhimrao Ambedkar History In Hindi” इसे ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करे ताकि उन्हें भी ऐसी जानकारी मिल सकते।
Promise Day Shayari Images :- वैलेंटाइन वीक का पांचवा दिन प्रॉमिस डे 11 फरवरी को आता है इस दिन सभी कपल एक दूसरे से वादा करते है की वो एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेगे इसीलिए हम आपको प्रॉमिस डे के मौके पर कुछ बेहतरीन शायरी और स्टेटस, लेकर आ रहे है।
अगर आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आये तो इसे आप अपने दोस्तों, गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड को भेज सकते है।
Happy Promise Day Hindi Shayari
तुम उदास-उदास से लगते हो, कोई तरकीब बताओ मनाने की, प्रॉमिस है जिंदगी गिरवी रख देने की, तुम कीमत बताओ मुस्कुराने की। ..Happy Promise Day..
होठों की तेरी मुस्कान संभाले में रखूँगा, बना के तुझे अपनी जान दिल में में रखूँगा , तेरे हर कदम के साथ होगा कदम मेरा तुझे हमेशा सीने के पास में रखूँगा।
एक वादा है जो टूटेगा ना कभी, साथ अपना छूटेगा ना कभी, चलता रहेगा युही अपने प्यार का कारवाँ, और ये प्यार का कारवाँ रुकेगा ना कभी। Happy Promise Day
ये है वादा हमारा ना छोड़ेंगे कभी साथ तुम्हारा, जो गए तुम हमे भूल कर, ले आएंगे पकड़ कर हाथ तुम्हारा।
वादा है कभी ना होगी दुरी तुमसे हमारी, हर लम्हा रहेगी चाहत तुम्हारी, पल पल चाहेंगे तुम्हें इस कदर की, एक पल भी तुम्हें कमी महसूस ना होगी हमारी।
सोचा था ना करेंगे किसी से दोस्ती, ना करेंगेे किसी से वादा पर क्या करें, दोस्त मिला इतना प्यारा कि, करना पड़ा दोस्ती का वादा।
पल पल साथ निभाएँगे, एक इशारे पर दौड़े चले आयेंगे, वादा है गम को तेरे पास भी न आने देंगे, बस खुशियाँ तुझ पर लुटाएँगे। Happy Promise Day
Broken Promise Shayari in Hindi
वादा है तुझसे सनम, तेरी ख्वाहिश पुरी करने के लिए, कुछ भी कर जायेंगे, तेरी हर तमन्ना को पुरी करेगें, तेरी ख़ुशी के लिए सारी दुनीया से लड़ जायेंगे।
लम्हें ये सुहाने साथ हो ना हो, कल में आज जैसी बात हो ना हो, दोस्ती रहेगी हमेशा दिल में, चाहे पूरी उम्र मुलाकात हो ना हो।
आओ वादा करें कि तुम मेरे बिना, और मैं तुम्हारे बिना ना रहूँ, और हमारा साथ ऐसे ही बना रहे।
Promise Day Hindi Shayari Images
आज से तुम्हारा दर्द हम आधा करते है, निभायेंगे हर वक्त ये इरादा रखते है, आखरी सांसों तक रहेंगे तुम्हारे साथ, हाथों में हाथ लेकर आज तुमसे ये वादा करते हैं।
वादा है कभी न होगी दूरी तुमसे हमारी, हर लम्हा रहेगी चाहत तुम्हारी, पल पल चाहेंगे तुम्हे इस कदर, की एक पल भी तुम्हे कमी महसूस न होगी हमारी। Happy Promise Day
रहेंगे तेरे दिल में हर दम, हमारा प्यार कभी ना होगा कम, चाहे कितने भी आये जिंदगी में गम, रहेंगे हमेशा तेरे साथ हम।
तेरा हाथ चाहती हूँ तेरा साथ चाहती हुँ, बाहों में तेरी रहना में दिन रात चाहती हुँ, बस यही वादा में तुमसे चाहती हू।
Promise Day Hindi Shayari Pic
वादा है तुझसे कभी रुलायेंगे नहीं, हालात जो भी हो तुझे भुलायेंगे नहीं, छुपा के अपनी आँखों में रखेंगे तुझको, दुनिया में किसी और को दिखायेंगे नहीं।
हर पल प्यार का इरादा है आपसे, अपनापन ही कुछ इतना ज्यादा है आपसे, ना सोचेंगे सिर्फ उम्र भर के लिए, क़यामत तक साथ निभाएँगे ये वादा है आपसे।
वादा है तुझसे तुम्हें अपना बनाऊंगा, मेरे जीवन का सलौना सपना बनाऊंगा, इश्क किया है तो निभाएँगे उम्र भर, है इरादा की तुझे अपना खुदा बनाऊंगा।
अपने दिल में तुझे बिठाएंगे हम, अपनी हर ख़ुशी तुझपे लुटाएंगे हम, कसम से तेरे साथ तेरी परछाई बन कर, आखरी साथ तक तेरा साथ निभाएंगे हम।
Promise Day Status Shayari Image
ना मैं तुम्हें खोना चाहता हूँ, ना तेरी याद में रोना चाहता हूँ, जब तक जिंदगी है मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, बस यही बात तुमसे कहना चाहता हूँ। Happy Promise Day
ये प्रॉमिस है हमारा, ना छोड़ेंगे कभी साथ तुम्हारा, जो गये तुम हमें भूल कर, ले आयेंगे पकड़ कर हाथ तुम्हारा। Happy Promise Day
वादा है चाहे जीवन की राह कैसी भी हो, साथ ना छोड़ेंगे हाथ ना छोड़ेंगे।
जिससे वादा करो वो पूरा करो, हमेशा अपने किये हुए promise की इज़्ज़त करो, चाहे वो अपने मेहबूब से हो या अपने आप से , या हो अपने मुल्क से उसे जरूर पूरा करो।
Happy Promise Day Hindi Status
अपने दिल में तुझे बिठाएंगे हम, अपनी हर ख़ुशी तुझपे लुटाएंगे हम, कसम से तेरे साथ तेरी परछाई बन कर, आखरी साथ तक तेरा साथ निभाएंगे हम।
में वादा करता हु…!! तेरी हर ख़ुशी पर अपनी जान निछावर कर दूँगा, तेरे हर मंज़िल का रास्ता बन जाओंग, और इतना प्यार करूँगा के 7 जन्म भी, कम पढ़ जायेगा मेरे प्यार के लिए।
तेरा हाथ चाहती हूँ तेरा साथ चाहती हूँ, बाहों में तेरी रहना मैं दिन रात चाहती हूँ, बस यही वादा मैं तुमसे चाहती हूँ।
कसम की कसम है कसम से, हमको प्यार है सिर्फ तुमसे।
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क़सम हैं इस दिल की, ❤️क़सम हैं इस साँसों की, क़सम हैं इस प्यार की, के तुझे हर पल, में बहुत प्यार करूँगा। Happy Promise Day
खुशबू की तरह मेरी हर साँस में, प्यार अपना बसाने का वादा करो, रंग जितने तुम्हारी मोहब्बत के है, मेरे दिल में सजाने का वादा करो।
हर घड़ी हर लम्हा तेरा साथ… निभाने का वादा करते है हम, गम में तेरे होंठों की मुस्कान… बनने का वादा करते है हम, ज़िन्दगी तुझे अपनी बना कर सनम, तुझे बाँहों में लेकर तेरे साथ… जीने का वादा करते है हम।
Special Promise Day Shayari Image
दिल ना दुखायेंगे कभी ना छोड़ के जायेंगे, तेरे गम में तेरे साथ रोयेंगे, ख़ुशी में तेरे साथ मुस्कुराएँगे, हर चीज से बढ़ कर सिर्फ तुझको ही चाहेंगे।
गुरु रविदास जी के जीवन परिचय पर निबंध और 2023 मेंउनकीजयंती { Guru Ravidas Ji Biography, History On Essay, 2023 Jayanti In Hindi }
इतिहास के 15 वी शताब्दी के महान समाज सुधारक संत गुरु रविदास जी (रैदास) का जन्म एक दलित परिवार में 1376 ईस्वी से 1399 ईस्वी के बीच हुआ था। वह उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में रहते थे। इनके पिता संतो़ख दास जी जिन्हे कई लोग रग्घु जी के नाम से भी पुकारते थे। वह राजा नगर राज्य में सरपंच हुआ करते थे इनका जूते बनाने और सुधारने का काम हुआ करता था वो मरे हुए जानवरों की खाल निकालकर उससे चमड़ा बनाकर उसकी चप्पल बनाते थे।
रविदास जी अधिकतर भक्ति की भावना में ही लीन रहते थे उन्हें बचपन से ही साधू संतो के साथ रहना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन रविदास जी भक्ति के साथ अपने काम पर विश्वास करते थे वो अपने पिता के साथ जूते बनाने का काम सीखते और पूरी मेहनत के साथ काम करते थे। रविदास जी अपनी मेहनत से लोगो की मदद करते थे।
गुरु रविदास जी का जीवन परिचय (Guru Ravidas Biography and history)
क्रमांक
जीवन परिचय बिंदु
गुरु रविदास जी का जीवन परिचय
1.
नाम
संत गुरु रविदास जी
2.
प्रचलित नाम
रोहिदस, रैदास
3.
जन्म तिथि
376-77 इसवी से 1399 के बीच माना जाता है।
4.
जन्मस्थान
गोवर्धनपुर गांव, वाराणसी, उत्तरप्रदेश
5.
मृत्यु
1540 इसवी (वाराणसी)
6.
पिता का नाम
श्री संतो़ख दास जी (रग्घु जी)
7.
माता का नाम
श्रीमती कलसा देवी जी
8.
पत्नी का नाम
श्रीमती लोना जी
9.
बेटा का नाम
विजय दास जी
10.
दादा का नाम
श्री कालू राम जी
11.
दादी का नाम
श्रीमती लखपति जी
12.
रविदास जी की जयंती
माघ महीने के पूर्णिमा के दिन
13.
स्वभाव
कल्याणवादी ,समाज सुधारक,निर्गुणसंत
14.
प्रचलित भजन
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै। तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।
संत रविदास जी को राजस्थान के लोग ‘रैदास’ के नाम से जानते थे और पंजाब के लोग ‘रविदास’ कहते थे। बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ के नाम से पहचानते थे तो गुजरात के लोग ‘रोहिदास’ के नाम से जानते थे। कुछ लोगो की मान्यता है कि माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन रविदास जी ने जन्म लिया तो उनका नाम रविदास रख दिया गया। इस तरह अलग अलग जगह पर उन्हें अलग अलग नाम से लोग जानते थे।
रविदास दास जी का स्वभाव-
रविदास जी का स्वभाव और उनके गुणों का पता उनके जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से चलता है। एक बार की बात है त्यौहार पर आस-पड़ोस के लोग गंगा में स्नान के लिए जा रहे थे तो उनके शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने को खा तो वह बोले में गंगा-स्नान के लिए जरूर जाता परन्तु वह जाने से क्या पुण्य मिलेगा जब मेरा मन यहाँ लगा रहेगा जिस काम को करने के लिए हमारी आत्मा और मन तैयार ही ना हो वह काम करना उचित नहीं यदि मन लगे तब ही कठौते के जल में गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है।
इससे पता चलता है की उनके विचारों का अर्थ यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। ईश्वर का सच्चा भक्त वही हो सकता है जो अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करे।
बचपन से ही रविदास जी बहुत बहादुर और भगवान् को बहुत मानने वाले थे। वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है।
रविदासजी बहुत ही दयालु और दानवीर थे। उनके गाओं में जब भी किसी को मदद की जरूरत होती तो वे निस्वार्थ होकर लोगो की मदद करते कभी कभी वो बिना पैसा लिए लोगों को जूते भी दान में दे दिया करते थे। उन्हें लोगो की सहायता करना बहुत अच्छा लगता था। यदि रास्ते में उन्हें कोई साधु-संत मिल जाएं तो वे उनकी सेवा करने लग जाते थे। उनका स्वाभाव बहुत ही विनम्र और दयालु था। इसी कारण लोग उनके अनुयायी बनने लग गए।
गुरु रविदासजी का वैवाहिक जीवन-
Guru Ravidas Ji का भगवान् के प्रति इतना घनिष्ट प्रेम और सच्ची भक्ति के कारण वो अपने परिवार, व्यापार और माता-पिता से दूर होते जा रहे थे। यह देख कर उनके माता-पिता ने उनका विवाह श्रीमती लोना देवी से करवा दिया और उनसे उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम विजय दास रखा।
विवाह के बाद भी वह अपने परिवार के व्यापार में सही तरीके से ध्यान नहीं दे पा रहे थे। यह देख कर उनके पिता ने उन्हें घर से निकल दिया ताकि वह अपने सामाजिक कार्य बिना किसी की मदद लिए कर सके। इसके बाद वह अपने घर के पीछे रहने लगे और अपने सामजिक कार्यों को करने लगे।
रैदास की वाणी भक्ति की से श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था। उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी की उन्हें अपनी समस्याओ का समाधान मिल जाता था और लोग उनके अनुयायी बन जाते थे।
गुरु रविदासजी की शिक्षा | Education of Guru Ravidas Ji
रविदास जी जब बचपन मे अपने गुरु, पंडित शारदा नन्द की पाठशाला में जाया करते थे तो उनके गांव के कुछ उच्च जाति के लोगों ने उन्हें वहा पढ़ने से मना कर दिया परन्तु उनके विचारों प्रतिभा को देखकर पंडित शारदा नन्द को यह यकीन हो गया था कि रविदासजी बहुत ही प्रतिभाशाली हैं और वो आगे जाकर एक अच्छे आध्यात्मिक गुरु और महान समाज सुधारक बनेगे। रविदास जी बहुत ही बुद्धिमान बच्चे थे और पंडित शारदा नन्द से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह बहुत महान समाज सुधारक बने गए। रविदास जी के साथ पाठशाला में पंडित शारदा नन्द जी का बेटा भी पढ़ता था, वे दोनों अच्छे मित्र थे एक बार वे दोनों छुपन छुपाई का खेल रहे थे।
एक दो बार खेलने के बाद रात हो गई, जिससे उन लोगों ने अगले दिन खेलने की बात कही जब दुसरे दिन सुबह रविदास जी खेलने आये तो उनका मित्र उन्हें वहाँ दिखाई नहीं देता तब वो उसके घर चले गए वहां जाकर उन्हें पता चला कि रात को उसके मित्र की मृत्यु हो गई और ये सुन रविदास जी सुन्न पड़ जाते है।
रविदास जी को बचपन से ही अलौकिक शक्तियां मिली हुई जब उनके गुरु शारदा नन्द जी उन्हें मृत मित्र के पास ले जाते है तो वे अपने मित्र से कहते है कि ये सोने का समय नहीं है, उठो और मेरे साथ खेलो तो ये यह शब्द सुनते ही उनका मृत दोस्त जीवित हो गया। ये देख वहां मौजूद हर कोई अचंभित हो जाता है और इस तरह कई लोग उनके ऐसे चमत्कार देख कर उनके अनुयायी बन गए और उन्हें पूजने लगे।
रविदास जी की मृत्यु ( Sant Ravidas Death )
गुरु रविदास जी की सच्चाई, मानवता, भगवान् के प्रति प्रेम, सद्भावना देख, दिन पे दिन उनके अनुयाई बढ़ते जा रहे थे। दूसरी तरफ कुछ ब्राह्मण उनको मारने की योजना बना रहे थे। रविदास जी के कुछ विरोधियों ने एक सभा का आयोजन किया, उन्होंने गाँव से दूर सभा आयोजित की और उसमें गुरु जी को आमंत्रित किय।
गुरु जी उन लोगों की उस चाल को पहले ही समझ जाते है जब गुरु जी वहाँ जाकर सभा का शुभारंभ करते है तो गलती से गुरु जी की जगह उन लोगों का साथी भल्ला नाथ बैठ जाता और वो मारा जाता जब गुरु जी थोड़ी देर बाद अपने कक्ष में शंख बजाते है, तो सब अचंभित हो गए। अपने साथी को मरा देख रविदास जी बहुत दुखी हो गए और दुखी मन से गुरु जी के पास चले गए।
रविदास जी के अनुयाईयों का मानना है कि रविदास जी 120 या 126 वर्ष बाद अपने आप शरीर को त्याग देते है। माना जाता है की उन्होंने वाराणसी में 1540 ईस्वी में अपना शरीर स्वय ही समर्पण कर दिया। कुछ लोगो मानना है की वे चित्तौड़गढ़ से स्वर्गारोहण कर गए थे और चित्तौड़ में ही संत रविदास की छतरी बनी हुई है।
रविदास जी के दोहे, कोट्स ( Guru Ravidas Ji Dohe, Quotes )
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
“रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात”
“मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊँ सहज सरूप”
“जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात”
गुरु रविदासजी और बेगमपुर शहर Guru Ravidas Ji and Begumpura City-
बेगमपुरा शहर से रविदास जी का गहरा संबंध था क्योंकि यह शहर बहुत शांति और मानवता से जुड़ा शहर था। बेगमपुरा शहर को उनकी कविता लिखते समय उनके द्वारा आदर्श रूप दिया गया था जहाँ उन्होंने वर्णन किया था कि बिना किसी कष्ट, पीड़ा, या भय और एक भूमि के साथ एक शहर जहाँ सभी लोग बिना किसी भेदभाव, गरीबी और जाति अपमान के समान हैं। एक ऐसी जगह, जहाँ सब लोग मिलकर रहते है , कोई चिंता नहीं है ,किसी को , कोई आतंक नहीं है,कोई भी किसी को कर नहीं देता है।
गुरु रविदास जी का मीरा बाई से संबंध-
मीरा बाई राजस्थान के राजा की बेटी और चित्तोड़ की रानी थी। बचपन में मीरा बाई की माता के देहांत के बाद इनके दादा ने ही उनकी परवरिश की। दादाजी को दुदा जी भी कहते थे जो रविदास जी के अनुयायी थे। मीरा बाई अपने माँ बाप की एकलौती संतान थी। मीरा बाई अपने दादा जी के साथ हमेशा रविदास जी से मिलती रहती थी। जहाँ वे उनकी शिक्षा से बहुत प्रभावित हुई। शादी के बाद मीरा बाई ने अपनी परिवार की आज्ञा से रविदास जी को अपना गुरु बना लिया। उनकी शिक्षा से प्रभावित हो कर वो उनकी अनुयायी बन गई थी। कई लोगो का मानना हे की रविदास जी ने कई बार मीराबाई को मृत्यु से बचाया था।
रविदास जी के लिए मीराबाई ने लिखा हे वह यह है-
“गुरु मिलिआ संत गुरु रविदास जी, दीन्ही ज्ञान की गुटकी” “मीरा सत गुरु देव की करै वंदा आस” “जिन चेतन आतम कहया धन भगवन रैदास”
वाराणसी में संत रविदास का मंदिर और मठ बना है। लोग उन्हें बहुत भक्ति के साथ पूजते है और उनकी पूजा करते है। बहुत दूर दूर से लोग मंदिर के दर्शन करने के लिए आते है और वह रविदास जी की भक्ति में लीन हो जाते है।
इसके अतिरिक्त श्री गुरु रविदास जी के नाम पर पार्क भी बना है जो उनकी यादगार के लिए बनाया गया है। कई जगह उनके स्मारक बने हुए है जो उनकी भक्ति के प्रतिक है।
संत गुरु रविदास जी के 41 पवित्र लेख जो गुरु ग्रन्थ साहिब में उल्लेख किये गए है–
सीरी –1
गौरी –5
असा –6
गुजारी –1
सोरथ –7
धनासरी –3
जैतसरी –1
सूही –3
बिलावल –2
गौंड –2
रामकली –1
मरू –2
केदार –1
भैरू –1
बसंत –1
मल्हार –3
गुरु रविदास जी की जयंती और अवकाश 2021, 2022, 2023, 2024 व 2025
रविदास जयंती माघ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रविदास जी की जयंती 29 फरवरी 2023, में मनाई जाएगी, जो उनका 644 वा जन्म दिवस होगा । वाराणसी में इनके जन्म स्थान पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। जहाँ लाखों की संख्या में उनके भक्त वहां पहुँचते है। कई अनुयाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करते है, और फिर रविदास की प्रतिमा की पूजा करते है। रविदास जयंती मनाने का उद्देश्य यही है, कि गुरु रविदास जी की शिक्षा को याद किया जा सके,उन्होंने जो लोगो को भाईचार और शांति की सीख दी हे उसे लोग अपने जीवन में उतार सके।
Guru Ravidas Ji Jayanti and Holiday In India:-
जन्म दिवस
दिनांक
वार
वर्ष
अवकाश
राज्य
644
27-फरवरी
शनिवार
2021
गुरु रविदास जयंती
हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब
645
16-फरवरी
बुधवार
2022
गुरु रविदास जयंती
हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब
646
5-फरवरी
रविवार
2023
गुरु रविदास जयंती
हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब
647
24-फरवरी
शनिवार
2024
गुरु रविदास जयंती
हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब
648
12-फरवरी
बुधवार
2025
गुरु रविदास जयंती
हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब
संत रविदास जयंती का महत्व-
संत रविदास जयंती के लिए हम सब मिलकर इस जयंती को मनाने के लिए एक जुट हो जाते है और सब साथ मिलकर उनकी पूजा अर्चना करते है उनके भजन गाते है और उनके दोहे पढ़ते है सड़को पर रैली निकलते है। उन्हें याद करके हमे इस बात का बोध होता है की समाज में जाती के नाम पर ऊंच -नीच का भेदभाव नहीं करना चाहिए और सबको मिलजुलकर रहना चाहिए। संत रविदास जयंती हमे उनके सिखाये हुए मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है।
गुरु रविदास जी और ब्रहामणों की कहानी –
एक समय की बात है जब गुरु रविदासजी को नरेश के दरबार में बुलाया और उन पर ये आरोप लगाया की वो कोई संत नहीं है बल्कि ढोंग कर रहे है और उन्हें भगवान की मूर्ति छूना तो दूर भगवान् की पूजा भी नहीं करनी चाहिए। राजा ने दोनों को मूर्ति लेकर गंगा नदी के तट पर बुलाया जब वो दोनों मूर्ति लेकर गंगा नदी के तट पर आये तो राजा ने कहा- जिसके हाथ से भगवान की मूर्ति पानी में डूबने के बजाय तैरेगी वही भगवान का सच्चा भक्त है। सबसे पहले ब्रहामणों ने अपना मूर्ति पानी में डाला तो मूर्ति झट से पानी में डूब गयी ।
उसके बाद गुरु रविदासजी ने ठाकुर जी के मूर्ति को धीरे से पानी में छोड़ा और वो तैरने लगी ।यह चमत्कार देख कर गुरु रविदास जी के भक्त बन गए और उनके पैर छूने लगे और उस दिन के बाद लोग उन्हें मानने लग गए और उनका सम्मान करने लग गए।
संत रविदास ने समाज में जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए अपने भजन, दोहों के माध्यम से सामाजिक एकता पर बल दिया और उन्होंने मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी। संत गुरु रविदास जी ऐसे समाज की कल्पना करते है जहां किसी भी प्रकार का ऊंच-नीच, जात-पात, दुःख-सुख, लोभ-लालच का भेदभाव नहीं किया जाता है। रविदासजी जी लिखते है कि-
‘रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच’
यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने जन्म से नीच नहीं होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति कर्म के हिसाब से नीच होता है।
गुरु रविदास जी का सिद्धांत | Principle of Guru Ravidas Ji–
भगवान एक है और अत्यंत शक्तिशाली है।
ईश्वर का एक कण मनुष्य की आत्मा है।
भगवान निचली जाति के लोगों को नहीं मिल सकते है ऐसी धारणा पर विश्वास नहीं करना।
ईश्वर पर ध्यान केंद्रित करना।
मनुष्य की मृत्यु निश्चित है।
संत रविदास की रचनाएं –
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी। प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा। प्रभु जी, तुम तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
गुरु रविदास जीवनी का निष्कर्ष-Conclusion
गुरु रविदास (Sant Guru RavidasJi) एक महान संत थे। रविदास जी ने ऊंच-नीच, जात-पात का भेदभाव मिटाने के अत्यंत प्रयास किये और वो प्रयास सफल भी हुए। वे दलित वर्ग के लोगों को समाज में सम्मान दिलाने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। जिसके कारण उनका सम्मान किया जाने लगा। ईश्वर से मिली अद्भुत शक्तियां उन्होंने समाज के कल्याण में लगा दी। अतः हम भी उनके सिखाये हुए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सफल बना सकते है।
शायरी क्या है? ग़ज़ल और शायरी में अंतर क्या है? जानिये हिंदी में।
हिंदीशायरी क्या है (Hindi Shayari Kya Hai)
हिंदी शायरी एक ऐसा माध्यम है जो लोगो की भावनाओ उनकी फीलिंग को शायरी के जरिये आसानी से बता सकते है। शायरी के रूप में कही गयी बाते दिल और दिमाग पर बहुत तेज और जल्दी असर डालती है और हम किसी के भी अहसास को शायरी के जरिये आसानी से समझ जाते है। शायरी के जरिये जो बात कही जाती है वो सीधे दिल को छू जाती है। भारत में अनेक शायरों ने अपनी शायरियो से लोगो के दिलो को जीता है और उन्हें शायरी के माध्यम से सीधी राह भी दिखाई है। शायरी के जरिये लफ्ज़ो को नया और ख़ास रुतबा मिलता है।
“शब्दों की ऐसी रचना जिससे मन उसमे लीन होकर उस भाव में डूब जाता है।”
शायरी का इतिहास और शायरी का दौर कब से शुरू हुआ –
हमारे देश भारत में कलाओ का भण्डार भरा पड़ा है। यहां कई भारतीय कलाकारों और कलाओ की पैदाइश हुई है जो अपनी अलग पहचान रखते है यहां कई भारतीय संस्कृति की कलाएं एक दूसरे में सिमटी हुई है। भारत में शायरी का दौर मुग़ल संस्कृति से चला आ रहा है। शायरी मुग़ल संस्कृति से मिली हुई है जो भारत में बहुत प्रसिद्ध हुई और लोगो ने इसे बहुत सराहा है।
वैसे तो शायरी कविता का ही एक रूप है परन्तु शायरी में शब्दों का जो समावेश किया गया है वो दिल को छू जाने वाला है। शायरी पढ़ने का जो लुत्फ़ है उसका अलग ही मजा होता है जो लोगो के दिलो दिमाग पर गहरी छाप छोड़ जाता है। शायरी में उर्दू के अल्फाजो का इस्तेमाल किया गया है जो हमे कई सारी जबान में छिपी हुई गहराइयों को महसूस कराती है।
शायरियां कैसीदिखती है –
❤ तू चाँद मैं💖सितारा होता❤ ❤आसमान में एक💖आशिया हमारा होता।❤ ❤लोग तुझे दूर से💖देखा करते और❤ ❤सिर्फ पास रहने का💖हक हमारा होता।❤
एक प्रकार से शायरी उर्दू कविता ही होती है जिसका मक़्सद लोगो की किसी भी तरह की भावनाओ को अपनी शायरी के जरिये महसूस कराना है। इस लेख में आपको ऐसी शायरी पढने को मिलेगी जिससे आप अपनी सच्ची भावनाओ को महसूस कर किसी को भी अपने दिल की बात बहुत आसानी से समझा सकते है। शायरी की खास बात ये है की इसमें जिन अल्फाज़ो का इस्तेमाल किया गया है इससे दो लोगो के बीच बहुत अच्छा रिश्ता बन जाता है ख़ास कर जो एक दूसरे को चाहते है पर अपने दिल की बात ब्यान नई कर पाते वो शायरी के माध्यम से अपने दिल की भावनाओ को व्यक्त कर सकते है।
आज कल हर कोई अपने फेसबुक / ट्वीटर / इंस्टाग्राम / व्हाट्सएप पर स्टेटस लगाने के लिए नयी और दिल को छू जाने वाली शायरियां ढूंढ़ते है , हम आपको ऐसी शायरी से रूबरू करायगे जिससे पढ़कर आपका दिमाग ताजा हो जायगा और आप इसे अपनी गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड , पति-पत्नी और अपने दोस्तों या अन्य के साथ शेयर कर सकते है।
गज़ल अरबी अदब की बहुत प्रसिद्ध कविता है जो कई सारी जबानो में लिखी गई है जैसे उर्दू, हिंदी, नेपाली, फारसी आदि। परन्तु जो उर्दू जबान में लिखी गई गजले है उनकी बात ही अलग है।
आज के दौर में जो लोग संगीत गाने वगैरा का शोक रखते है उतना ही कई शौकीन लोग गजल को भी बहुत पसंद करते है।
गज़ल का अर्थ –
गज़लका अर्थ औरत है इसका मतलब अपने प्रेमी या माशूक का जिक्र करना उसकी तारीफ़ करना औरत की खूबसूरती की बात करना होता है। प्रांरभ में तो गजल इसी अर्थ को देखते हुए लिखी जाती थी परन्तु अब गजल का नया दौर शुरू हो गया है अब जिंदगी के हर रूप में गजल लिखी जा रही है जो गजल के शौकीन लोगो के दिलो पे राज कर रही है। आज के दौर में लोग गीत और गानो के साथ-साथ गजलों का भी शोक रखने लग गए है जिससे गजल को भी अब ज्यादा महत्व मिलने लग गया है।
गजल शेरो का एक समूह होता है जिसके अंदर एक ही बहर और वजन के मुताबिक शेर होते है। ये शेर एक दूसरे से जुदां होते है यानी एक शेर का दूसरे शेर से कोई ताल्लुक नहीं होता है। एक गज़ल में 5 से 25 शेर लिखे जा सकते है।
दो लाइनों में जो शेर लिखे जाते है ये किसी एक गजल का हिस्सा होते है जिनका किसी और शेर से कोई ताल्लुक नहीं होता है। ये शेर अपने आप में मुकम्मल होते है।
गजल और शायरी दोनों की पैदाइश ही उर्दू से हुई है। आज के दौर में ये सभी जबानो में लिखी जा रही है परन्तु उर्दू के शब्दों से ये और भी बेहतरीन बन जाती है। बहुत से लोग शायरी और गजल को एक ही मान लेते है परन्तु इनमे कई तरह का अंतर पाया जाता है तो आज हम शायरी और गजल में क्या अंतर है ये बतायगे।
शायरी और गजल मेंअंतर (Shayari VS Ghazal)
शायरी
ग़ज़ल
1.
शायरी को संगीतमय तरीके से बोला या लिखा जाता हैं।
जबकि ग़ज़ल में अलग अलग शेर को अलग अलग भाव द्वारा पढ़ा जाता हैं।
2.
शायरी दो पंक्ति की एक कविता होती है
जबकि गजल लम्बी या बड़ी कविता होती है जिसमे 5 से लेकर 25 शेर होते है।
3.
शायरी अपने आप में आजाद कविता है
जबकि गजल कई शेरो से मिलकर बनी होती है।
4.
शायरी में बहर की कोई जरुरत नहीं होती है
जबकि ग़ज़ल में बहर का इस्तेमाल करना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योकि बहर के बिना गजल पूरी नहीं की जा सकती हैं।
5.
शायरी में मिसरा और मतला का इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं
जबकि गजल में मिसरा और मतला का इस्तेमाल किया जाता है।
6.
शायरी में काफ़िया और रदीफ़ का इस्तेमाल सिर्फ पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में ही किया जाता है
जबकि ग़ज़ल में मतले के दोनों लाइन में काफ़िया और रदीफ़ होता है और बाकी सभी शेरो में सिर्फ दूसरी पंक्ति में ही काफ़िया और रदीफ़ पाया जाता हैं।
7.
शायरी के अंदर पूरी शायरी का एक ही भाव प्रकट किया जाता हैं
जबकि ग़ज़ल में हर एक शेर का भाव अलग अलग होता हैं।
8.
एक शायरी गजल का एक शेर और मतला नहीं बन सकती हैं
जबकि गजल का मतला और एक शेर मिलकर एक शायरी जरूर बना सकते है
9.
शायरी को संगीतमय लय से पढ़ा जाता है
जबकि गजल को वाद्य यंत्रों के साथ गाया जाता है।
शायरी के लिए आखरी शब्द –
शायरी क्या है और ग़ज़ल और शायरी में अंतर क्या है? इसकी सम्पूर्ण जानकारी हमने इस लेख में दी है यदि आपको यह लेखशायरी क्या हैपसंद आया हो तो आप इस लेख को अपने दोस्तों आदि के साथ जरूर शेयर करे और अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं।
Eid Mubarak Wishes Images, Messages, Shayari, Quotes In Hindi : मुस्लिम समुदाय में ईद बहुत बढ़ा और खास त्यौहार होता है ईद रमजान के तीस रोजे रखने के बाद तथा रोजे की खुशी में मनाई जाती है यह ईद मीठी ईद होत्ती है और तीस रोजे खत्म होने के बाद चाँद दिखने के इक दिन बाद में मनाई जाती है।
यह भाई-चारे का त्यौहार होता है ईद के दिन बढे लोग छोटे बच्चो को ईदी देते है बच्चो को ईदी को लेकर बेसब्री से की खुसी होती है। और ईदी कब मिलेगी इस का इंतजार करते है इस दिन बढे और छोटे एक दूसरे से गले मिल कर ईद मुबारक कहते है और पुराने गीले शिकवे दूर किये जाते है। और बहुत पियर मोहब्बत के साथ एक दूसरे के घर खीर और सेवैइया खाने जाते है आप ईद की मुबारक की बहुत बहुत बधाई, शायरी, इमेजेज, फोटो अपने चाहने वाले, दोस्तों, रिश्तेदारों को सोशल मीडिया के जरिये भेज कर ईद की मुबारक की बधाईया भेजे।
Happy Eid Ul Fitr Wishes in Hindi
🎉🌙मुबारक हो आप को खुदा की दी यह जिंदगी🎉🌙 🎉खुशियों से भरी रहे आपकी यह जिंदगी🎉 🎉गम का साया कभी आप पर ना आए दुआ है🎉 🎉🌙यह हमारी आप सदा यूंही मुस्कुराए🎉🌙
🎉🌙खीर शकर सिवैयां पकाने की धूम है🎉🌙 पीरो को नेअमते खाने की धूम है, लड़कों को ईदगाह के जाने की धूम है, ऐसी न शब्बरात न बक़रीद की खु़शी, 🎉🌙जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खु़शी!🎉🌙
🌙रात को नया चांद मुबारक🎉 चांद को चांदनी मुबारक, फलक को सितारे मुबारक, सितारों को बुलंदी मुबारक 🎉🌙और आपको हमारी तरफ से ईद मुबारक!🎉🌙
नजर का चयन दिल का सुरूर होते हैं, कुछ ऐसे लोग जहां में जरूर होते हैं, सदा चमकाता रहे ईद का त्यौहार, करीब रहकर भी हमसे जो दूर रहते हैं!!
Eid Mubarak Wishes, Images In Hindi
जिंदगी का हर पल खुशियों से कम न हो, आप का हर दिन ईद के दिन से कम न हो, ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो, जिसमे कोई दुख और गम न हो, आपको और आपके परिवार को ईद मुबारक!!
Eid Mubarak Wishes, Messages Shayari
काश हम एक SMS होते, बस एक क्लिक में आपके पास होते, माना कि आप हमें डिलीट कर देते, लेकिन कुछ देर के लिए तो हम आपके पास होते, और भारी खुशी से कहते ईद मुबारक!
ईद का त्योहार आया है, खुशियां अपने संग लाया है, खुदा ने दुनिया को महकाया हैं, देखों फिर हमारा ईद का त्योहार आया है!
रमजान ईद चांद से भी ज्यादा रोशन हो आपको, आपका हर एक दिन का रोजा हो प्यार से भरा, अल्लाह कबूल करें आपकी हर नमाज और सभी, मन्नतें यही दुआ करते हैं, अल्लाह से हम आपकी!
🎉🌙ईद आई तुम न आए क्या मजा है ईद का, ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का!🎉🌙
यह दुआ मांगते हैं हम ईद के दिन, बाकी ना रहे आपको कोई गम ईद के दिन, आपके आंगन में उतरे हर रोज खुशियां भरा चांद, और महकता रहे फूलों का चमन ईद के दिन!🎉🌙
Eid Mubarak Messages Shayari, Status In Hindi
चुपके से चांद की रोशनी छू जाए आपको, धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको, दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से, हमारी दुआ है ईद पर वो पूरी हो जाए!!
आपने क्या सोचा 🎉🌙SMS नहीं आएगा, सोचा यह दोस्त आप को यूं ही भूल जाएगा, यह तो आदत है हमारी सताने की, वरना इतना प्यारा दोस्त ईद पर कौन बुलाना चाहेगा!
समुद्र को उसका किनारा मुबारक, चांद को सितारा मुबारक, फूलों को उसकी खुशबू मुबारक, दिल को उसका दिलदार मुबारक, आपको और आपके परिवार, को ईद का त्योहार मुबारक!
Eid Mubarak Wishes Images Hindi
आज से अमीर गरीब के फैसले ना रहे, हर इंसान एक दूजे को अपना भाई कहें, आज सब कुछ भूल के आ गले लग जा, मुबारक हो तुझे यह ईद-उल फितर!
तुम वो दुआ हो जिसके मांगने के बाद, यह दुआ भी मांगी जाती है के, यह किसी और के हक में कबूल न हो!
सदा हँसते रहो जैसे हँसते हैं फूल, दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल, चारों तरफ फ़ैलाओ खुशियों के गीत, इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो ईद!
चांद से रोशन हो त्योहार तुम्हारा, खुशी से भर जाए आंगन तुम्हारा, हर शिकायत हो दूर तुम्हारी, बस यही है दुआ हमारी, आप सभी को तहेदिल से ईद मुबारक!
हले के ईद की शाम हो जाए, मेरा SMS औरों की तरह आम हो जाए, सारे मोबाइल नेटवर्क जाम हो जाए, और ईद विश करना आम हो जाए, ईद मुबारक!🎉🌙
Happy Eid Mubarak SMS, Shayari, Status, Quotes
हर मंजिल आपके पास आ जाए, हर दुःख दर्द आपसे दूर हो जाए, इस ईद पर यही दुआ है हमारी, आप पर खुशियों की बौछार हो जाए!
आगाज ईद है अंजाम ईद है, सच्चाई पर चलो तो हरदम की है, जिसने भी रोजे रखे उन सबके वास्ते, अल्लाह की तरफ से इनाम ईद है!
चुपके से चांद की रौशनी छू जाए आपको, धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको, दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से, हमारी दुआ हैं इस ईद वो मिल जाए आपको!
ईद का त्यौहार आया है, खुशियों अपने संग लाया है, खुदा ने दुनिया को महकाया है देखो फिर से ईद का त्यौहार आया है!
Eid Mubarak Wishes Images
ऐ चांद उनको मेरा ये पैगाम देना, खुशी का दिन और हंसी की शाम कहना, जब देखें वो तुझे तो, मेरी तरफ से उनको ईद मुबारक कहना!
सूरज ने भेजी है रोशनी किरणों में, फूलों ने भेजी है महक हवाओं में, आप ईद के चांद से जगमगाए रहे हैं, दे असर इतना खुदा हमारी दुआओं में!
रमज़ान में ना मिल सके, ईद में नज़रें ही मिला लूं, हाथ मिलाने से क्या होगा, आज तो गले से लगा लूं!
लो आ गई चांद रात, साथ है तारों की बारात, जगमगाया है हर घर आंगन, संघ लाई है खुशियों की सौगात!
कोई इतना चाहे हमें तो बताना, कोई तुम्हारी फिक्र करे तो बताना, ईद मुबारक तो हर कोई कह देगा, कोई हमारे अंदाज में कहे तो बताना!!
Happy Eid Fitr Shayari, Status, Quotes In Hindi
आज के दिन क्या घटा छाई है, चारों ओर खुशियों की फिजा छाई है, हर कोई कर रहा है सजदा खुदा को, तुम भी कर लो खुदा की बंदगी आज ईद आई है!
आज खुदा की हम पर हो मेहरबानी, करदे माफ़ हम लोगो की सारी नाफरमानी, ईद का दिन आज आया, चलो मिलके करें यही वादा, कुरान की दिखाई सही राह पर हम चलेंगे सदा!!
वैलेंटाइन वीक का चौथा दिन 10 February टेडी डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कपल एक दूसरे को या अपने लाइफ पार्टनर को टेडी बियर गिफ्ट करके प्यार जताते हैं।अगर आप अपने लवर से दूर है और उन्हें गिफ्ट नहीं दे पा रहे है तो आप हमारी ये प्यार भरी शायरी उनको शेयर कर सकते है तो हमारे इस पोस्ट में आपको बहुत-अच्छी और प्यार भरी टेडी डे की शायरी हिंदी में मिल सकती है जिसे आप प्रेमी-प्रेमिका, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड, पार्टनर,लवर, हस्बैंड-वाइफ को भेज कर या शेयर करके उन्हें खुश करके उनका ये दिन यादगार बना सकते है।
Cute Teddy Bear Images Wallpaper
हमेशा साथ रहेंगे हम डियर मैं तेरा टेडी, तू मेरी बियर।
अगर आप एक टेडी होते, तो हम अपने पास रख लेते डाल के अपनी झोली में साथ साथ अपने ले चलते हग कर के रोज़ रात को अपने संग सुलाते।
अपनी बाहों में भर लूं तुझे टेडी बियर बनाकर हमेशा अपने पास रखूं।
मेरी तरफ से एक प्यारा सा टेडी बियर मेरे ज़िन्दगी के सबसे प्यारे इंसान के लिए।
जब भी तेरी याद सताती है, में तुम्हारे दिये teddy को गले लगा लेती हु।
जब खफा हो जाऊं तो टेडी देकर मना लेना अगर कोई खता हो जाए तो गलती समझ भुला देना।
Teddy Day Images For Wife
चॉकलेट की खुशबू,आइसक्रीम की मिठास प्यार की मस्ती और हाथों का स्वाद हसी के गुब्बारे और तुम्हारा साथ, मुबारक हो आपको टेडी डे का त्यौहार।
कली जैसी कोमल टेडी बियर जैसी प्यारी हो आज कह ही देता हूं तुम दुनिया से न्यारी हो।
टेडी Day का मौका है, फिर क्युं आपने खुद को रोका है, जाओ और दे आओ अपने प्यार को टेड्डी, इस दिन का मौका ही अनोखा है।
Teddy Day Images For Whatsapp
जब मिलो तो ख्वाहिशें काबू में कर लेना टेडी बियर बीच में रखकर पर्दा कर लेना जितना भी मिलो हमसे, मन नहीं भरता कल फिर मिलने का तुम वादा कर लेना।
तुम हँसते रहो टेडी बीयर की तरह, मुस्कुराते रहो हमेशा छलकती बीयर की तरह, बस गए हो दिल में किसी डिअर की तरह।
उन्हें ये शिकायत है हमसे, की हम हर किसी को देख कर मुस्कुराते है, नासमझ है वो क्या जाने, हमें तो हर चेहरा मै वो ही नज़र आते है।
Teddy Bear Shayari Images With Love
तुम हमेशा पास नहीं रह सकते इसलिए एक टेडी मेरे लिए ले आना हमेशा पास रखेंगे हम तेरे प्यार का ये नजराना।
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